Varalakshmi Vrat Pooja

 वरलक्ष्मी व्रत भारतीय पौराणिक परंपरा में महत्वपूर्ण 

Varalakshmi Vrat


एक धार्मिक और पौराणिक आयोजन है, जिसमें मां लक्ष्मी की पूजा और अर्चना की जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु की श्रीलक्ष्मी रूपिणी पत्नी की प्राप्ति, धन, समृद्धि और किसी भी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति के लिए किया जाता है।


Varalakshmi Vrat is an important religious and mythological observance in Indian tradition, wherein the worship and reverence of Goddess Lakshmi are central. This vrat is performed to seek the blessings of Goddess Lakshmi, who is considered the embodiment of wealth, prosperity, and well-being.

वरलक्ष्मी व्रत के दिन सूर्योदय से लेकर रात्रि के अंत तक, विशेष आयोजन और पूजा की जाती है। यह व्रत पुराने व्रत संहिताओं और धार्मिक ग्रंथों में विस्तार से वर्णित है।

On the day of Varalakshmi Vrat, special rituals and worship are carried out from sunrise to the end of the night. This vrat is extensively described in ancient vrat scriptures and religious texts.

वरलक्ष्मी व्रत के दिन विशेष तौर पर श्रीलक्ष्मी, गणेश, सरस्वती, यमराज, इन्द्र, सूर्य, चंद्रमा आदि के मूर्तियों की पूजा की जाती है। व्रत के दिन व्रत निरंतर बिना खाने-पीने के बिताया जाता है, जिसका पालन करने वाले व्रती श्रीलक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए योग्य समझे जाते हैं।

The day of Varalakshmi Vrat involves the special worship of deities such as Goddess Lakshmi, Lord Ganesha, Goddess Saraswati, Yamaraj (the god of death), Lord Indra, Lord Surya (the sun god), Lord Chandra (the moon god), and others. Those observing the vrat refrain from consuming food and water throughout the day, considering it an eligible practice to receive the grace of Goddess Lakshmi.

इस व्रत की आयोजनाएँ भारत के विभिन्न हिस्सों में भिन्न-भिन्न तरीकों से की जाती हैं। विशेषकर उत्तर भारत में यह व्रत बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। व्रत के दिन लोग धन्य और सुखी जीवन की कामना करते हैं और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए उनकी आराधना करते हैं।

The celebrations of this vrat vary in different parts of India. Particularly, in northern India, the vrat is observed with great enthusiasm and grandeur. On this day, people wish for a life filled with abundance and happiness, and they perform rituals to seek the blessings of Goddess Lakshmi.

इस व्रत के पीछे की गहराईयों में धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि होती है, और इसका महत्व लोगों के आदर्शों, मूल्यों और आध्यात्मिकता के साथ जुड़ा होता है। यह व्रत लोगों को धार्मिकता, समर्पण और आत्मनिर्भरता की भावना प्रदान करता है।

The significance of Varalakshmi Vrat is deeply rooted in religious, cultural, and historical contexts. Its importance is intertwined with people's values, beliefs, and spirituality. This vrat fosters qualities of devotion, surrender, and self-reliance among the participants.

इस तरह, वरलक्ष्मी व्रत भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण है और यह भक्तों को मां लक्ष्मी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक विशेष उपाय माना जाता है।

In this manner, Varalakshmi Vrat holds immense significance in Indian culture and is considered a special means to attain the blessings and grace of Goddess Lakshmi, the bestower of wealth and prosperity.



वरलक्ष्मी व्रत का मुख्य उद्देश्य मां लक्ष्मी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करना होता है, जिन्हें धन, समृद्धि, और सुख-शांति की प्रतीक माना जाता है। इस व्रत के माध्यम से लोग अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन और समृद्धि की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं। इसके अलावा, यह व्रत सामाजिक और पारिवारिक एकता को भी बढ़ावा देता है, क्योंकि इसमें परिवार के सभी सदस्य एक साथ भाग लेते हैं और मां लक्ष्मी की कृपा की कामना करते हैं।


वरलक्ष्मी व्रत की पूजा की विधि निम्नलिखित है:


पूजा के तैयारी: पूजा की तैयारी के लिए सभी आवश्यक सामग्री जैसे कि फूल, दीपक, गंध, कपूर, धूप, अक्षत आदि को एकत्र करें।


कलश स्थापना: पूजा की शुरुआत में कलश स्थापित किया जाता है। कलश को सजाकर उसमें स्वयंभू लक्ष्मी की मूर्ति, अक्षत, नारियल, धनिया, रोली, मोली, चावल, घी, मिश्री, फूल, बत्ती, दीपक आदि डालें।


लक्ष्मी मंत्रों का पाठ: विशेष रूप से लक्ष्मी मंत्रों का उच्चारण करें, जैसे कि "ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नमः"।


लक्ष्मी पूजा: उपरोक्त मंत्रों के साथ-साथ मां लक्ष्मी की मूर्ति की पूजा करें। धूप, दीपक, गंध, फूल आदि से उन्हें आराधना करें।


लक्ष्मी कथा का पाठ: वरलक्ष्मी व्रत के दिन लक्ष्मी कथा का पाठ किया जाता है। इसमें मां लक्ष्मी की महत्वपूर्ण कथाएं सुनाई जाती हैं।


प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद बनाकर देवी और उसके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए उसे सभी मिलाने वालों के बीच वितरित करें।

वरलक्ष्मी व्रत की पूजा में कई मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, जिनमें मां लक्ष्मी की प्रार्थना और आराधना की जाती है। यहां कुछ प्रमुख मंत्रों का उल्लेख दिया जा रहा है:


लक्ष्मी मंत्र: "ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नमः" - यह मंत्र मां लक्ष्मी की पूजा और आराधना के दौरान अधिकांशतः उच्चारित किया जाता है।


गणेश मंत्र: पूजा की शुरुआत में गणेश मंत्र उच्चारित किया जाता है ताकि शुभ कार्य की सफलता हो सके। "ॐ गं गणपतये नमः" या "वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ । निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा" जैसे मंत्रों का उच्चारण किया जा सकता है।


लक्ष्मी अष्टकम: यह अष्टकम मां लक्ष्मी की महिमा का वर्णन करता है और उनकी कृपा की प्रार्थना करता है।


वरलक्ष्मी माता आरती: आरती के समय भी विशेष रूप से मां लक्ष्मी की आराध

ना के लिए मंत्र उच्चारित किये जाते हैं।

Comments